मेरे गोविन्द से कह दो कोई जा के ,
राह तकती हैं तेरी मेरी आँखें।
आके देख ले तू मेरा दीवानापन ,
कितना तड़फ़ी हैं गिरधर मेरी आँखें ।
मेरे गिरधर से....................
कैसे आँसू बहे मेरे नैनो से,
देख यमुना बनी हैं मेरी आँखें ।
मेरे गोविन्द से.……………
देख सखियाँ बनीं हैं मेरी आँखें ।
मेरे नैनो में बाग़ खिले गिरधर ,
देख वृंदा बनीं हैं मेरी आँखें ।
मेरे गोविन्द से....................
मेरे मन के वृन्दावन में हरी ,
आके इक बार तो आप भी झाँके।
मेरे गोविन्द से कह दो कोई जा के ,
राह तकती हैं तेरी मेरी आँखें।।
Very nice poem keep it up
ReplyDelete