Saturday, 12 July 2014

RAAH TAKTI HAIN TERI MERI AANKHEN

मेरे गोविन्द से कह दो कोई जा के ,
राह तकती हैं तेरी मेरी आँखें। 
आके देख ले तू मेरा दीवानापन ,
कितना तड़फ़ी हैं गिरधर मेरी आँखें । 
मेरे गिरधर से.................... 
कैसे आँसू बहे मेरे नैनो से,
देख यमुना बनी हैं मेरी आँखें । 
मेरे गोविन्द से.…………… 
देख नाचे छमा छम मेरी आँखें ,
देख सखियाँ बनीं हैं मेरी आँखें । 
मेरे नैनो में बाग़ खिले गिरधर ,
देख वृंदा बनीं हैं मेरी आँखें । 
मेरे गोविन्द से.................... 
मेरे मन के वृन्दावन में हरी ,
आके इक बार तो आप भी झाँके। 
मेरे गोविन्द से कह दो कोई जा के ,
राह तकती हैं तेरी मेरी आँखें।।  

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