Thursday, 24 July 2014

MERA CHITCHOR

वृन्दावन की कुंज गलिन में ,
रहे मेरा चितचोर ;
आके तेरी शरण में गिरधर ,
मन नाचे ज्यूँ मोर ;
वृन्दावन की कुंज गलिन में ,
बसत है नन्द किशोर ;
नाम तो तेरा है मुरलीधर ,
गूंजत  चारों ओर ॥ 

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