Thursday, 24 July 2014

MERA CHITCHOR

वृन्दावन की कुंज गलिन में ,
रहे मेरा चितचोर ;
आके तेरी शरण में गिरधर ,
मन नाचे ज्यूँ मोर ;
वृन्दावन की कुंज गलिन में ,
बसत है नन्द किशोर ;
नाम तो तेरा है मुरलीधर ,
गूंजत  चारों ओर ॥ 

Sunday, 20 July 2014

RADHA RANI

राधा ऐसी बड़भागिनी , गोविन्द के मन भाये ;
राधा नाम जो ध्याएं ,कृष्ण उन्हें मिल जाए ;
राधा कृष्ण तो एक हैं एक ही रूप समाये ,
राधा नाम जपन से कृष्णा संग आ जाए ;
मुरली की धुन राधा है ,कान्हा जिसे बजाये ,
जो राधा मुरली ना होती ,काहे कृष्णा अधर सजाये ।। 

Sunday, 13 July 2014

BANSI KI DHUN

मुझे श्याम  रंग भाये ,मुझे श्याम नज़र आये ,
मेरे मनवा में श्यामा बसा इस तरह ,
मुझे हर पल ही बंसी की धुन दे सुनाये । 
मेरे कानों में बंसी ये मिश्री घोल जाये ,
मुझे हर पल ये गिरधर दीवाना बनाये ,
मुझे हर पल ही बंसी की धुन दे सुनाये । 
तेरी बंसी की धुन विरह अग्नि जगाये ,
मेरे मन के ये सारे द्वेष मिटाये ,
मुझे हर पल ही बंसी की धुन दे सुनाये । 
तेरी बंसी की धुन मुझे व्याकुल कर जाए ,
मेरे नैनों से गिरधर ये नीर बहाये ,
मुझे हर पल ही बंसी की धुन दे सुनाये । 
मुझे श्याम  रंग भाये ,मुझे श्याम नज़र आये ।। 

Saturday, 12 July 2014

RAAH TAKTI HAIN TERI MERI AANKHEN

मेरे गोविन्द से कह दो कोई जा के ,
राह तकती हैं तेरी मेरी आँखें। 
आके देख ले तू मेरा दीवानापन ,
कितना तड़फ़ी हैं गिरधर मेरी आँखें । 
मेरे गिरधर से.................... 
कैसे आँसू बहे मेरे नैनो से,
देख यमुना बनी हैं मेरी आँखें । 
मेरे गोविन्द से.…………… 
देख नाचे छमा छम मेरी आँखें ,
देख सखियाँ बनीं हैं मेरी आँखें । 
मेरे नैनो में बाग़ खिले गिरधर ,
देख वृंदा बनीं हैं मेरी आँखें । 
मेरे गोविन्द से.................... 
मेरे मन के वृन्दावन में हरी ,
आके इक बार तो आप भी झाँके। 
मेरे गोविन्द से कह दो कोई जा के ,
राह तकती हैं तेरी मेरी आँखें।।  

Wednesday, 9 July 2014

MERA GIRDHAR

हर रंग में मेरे गिरधर मुझे रंग तेरा  ही भाया,
जब भी तुझको है पुकारा  तू दौड़ के गिरधर आया ;
तेरे रंग में मेरे गिरधर मैंने सारा ही जग पाया ,
तेरे प्रेम को पाकर गिरधर मैंने सारा जग बिसराया ;

                                                                                                       

Sunday, 6 July 2014

Mere nain baso girdhari

Dear readers,this is a poem dedicated to my beloved lord krishna .His colour and essence is present in every season.This poem is based on the fact that every colour of life is created by krishna.
मेरे नैन बसो गिरधारी ,
मैं जग बिसरी बनवारी ;
रंग तेरा सावन की बूँदें ,
बंसी बजा तू नैना मूंदे ;
रंग तेरा सर्दी की धूप  ,
राधा संग तू लगे है खूब ;
रंग तेरा बसंत फुलवारी ,
प्रेम पे जाऊं तेरे मैं वारी वारी ;
रंग तेरा गर्मी का तपना ,
मेरे नैनों का तू एक ही सपना ;
मन की तृष्णा मिल जाए कृष्णा ,
हो जाएँ वारे न्यारे ;
आकर हमको दर्शन देदो ,
खुल जाएँ भाग हमारे ;

maine teri raah chuni girdhari

Dear readers,this is the very first poem written by me from my heart to my beloved lord krishna , i feel like he is always with me ;                                                                                                                                   मैंने तेरी राह चुनी गिरधारी ,
जो खुशियों में तुझे पुकारूं ,
दुःख काहे आये बनवारी ;
मैंने तेरी राह चुनी गिरधारी ,
जो दुःख में भी तुझको सिमरूँ ,
दुःख भी सुख लागे बनवारी ;
मैंने तेरी राह चुनी गिरधारी ,
ना मैं राधा ना मैं मीरा ,
फिर भी शरण मैं आई तिहारी ;
मैंने तेरी राह चुनी गिरधारी